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"माना"

माना कि हमने कईं उतार चढ़ाव देखे है। लेकिन अभी आसमा की ऊँचाई नापना बाकी है।। माना कि गहराई में लोग डूब जाते है। पर मैने लोगो को समंदर में तैरते देखा है।। © प्रशांत तिवारी "अभिराम" @ प्रशान्त तिवारी अभिराम  
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उठो वीर और तुम गरजो, वसुधा की लाज बचाना है, देश की रक्षा के खातिर, दुश्मन का शीश उड़ाना है। फिर चाहे वो कोई भी हो, हम उसको मार गिराएंगे, भारत माँ की शान में हम सब वंदे मातरम गाएंगे।। हम वंदे मातरम गाएंगे……. जिस दिन लहू हमारा भी, इस मिट्टी में मिल जाएगा, कर्ज मात्रभूमि का फिर, हल्का कुछ हो जाएगा, अन्तिम स्वास में हम सब मिल, इतिहास नया लिख जायेगे, भारत माँ की शान में हम सब वंदे मातरम गायेंगे, हम वन्दे मातरम गायेंगे,...…... जय हिन्द ! जय भारत ! भारत माता की जय !! ©प्रशान्त तिवारी"अभिराम"

जब जब तेरी नजरो में देखू------

जब जब तेरी नजरो में देखू, चाहत का प्याला दिखता है। तेरी इस मुस्कान में मुझको, राज नया अब दिखता है।। क्या चाहत है तेरे मन मे, एक बार बया तू कर मुझसे, तेरे प्यारे अधरो पर अब,  नाम मेरा बस दिखता है।।     ©प्रशान्त तिवारी"अभिराम"

हम वन्दे मातरम गायेंगे..

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            हम वंदे मातरम गायेंगे.. उठो वीर और तुम गरजो, वसुधा की लाज बचाना है, देश की रक्षा के खातिर, दुश्मन का शीश उड़ाना है। फिर चाहे वो कोई भी हो, हम उसको मार गिराएंगे, भारत माँ की शान में हम सब वंदे मातरम गाएंगे।। हम वंदे मातरम गाएंगे……. जब-जब शरहद पर आकर,, दुश्मन ने हमे ललकारा है, तब-तब सीमा पर जाकर ,, हमने भी शीश उतारा है। हम भारत माता के बेटे,, आतंकवाद को मिटायेंगे, भारत माँ की शान में हम सब वंदे मातरम गाएंगे।। हम वंदे मातरम गायेंगे…….. जिस दिन लहू हमारा भी, मिट्टी में मिल जाएगा, कर्ज मात्रभूमि का फिर, हल्का कुछ हो जाएगा, अन्तिम स्वास में हम सब मिल, इतिहास नया लिख जायेगे, भारत माँ की शान में हम सब वंदे मातरम गायेंगे, हम वन्दे मातरम गायेंगे,...…... ©प्रशान्त तिवारी"अभिराम"

My ebook😁

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मेरे भी तो कान है तरसे, मधुर मुरलिया सुनने को। मेरा भी तो दिल है धड़के दर्शन तेरे करने को।।

मेरे भी तो कान है तरसे, मधुर मुरलिया सुनने को। मेरा भी तो दिल है धड़के दर्शन तेरे करने को।। हे नंदलाल सुनो धड़कन और दौड़ के तुम आ जाओ ना जनम मरण के बन्धन से अब मुक्ति तुम दे जाओ ना।। ©प्रशान्त तिवारी”अभिराम” https://hindi.sahityapedia.com/?p=97931

"सत्य का बोध"

                                 "नही पता था मुझको अबतक" नही पता था मुझको अबतक, कुछ ऐसा हो जाता है। कभी नही सोचा जीवन मे, जब वो आगे आता है। जीवन के कुछ मोड़ो पर, दिल भी अस्क बहाता है। जब जीवन की पुस्तक में, काला पन्ना जुड़ जाता है। दिल का दर्द निकालू कैसे, कोई नही समझता है। तब कोई अपना ही आकर, मार्ग नया दिखलाता है। नही पता था मुझको अबतक, कुछ ऐसा हो जाता है-२ ©प्रशान्त तिवारी"अभिराम" EWS Full Form - Read